अब नाव नहीं ,बहता तिनका बना मेरा जीवन !
अब नाव नहीं ,
बहता तिनका बना
मेरा जीवन !
कभी जीवन नाव मेरी
समय की धारा पर बहती
शांत सौम्य !
नदी की कल -कल
के साथ
मन गीत गाता था निश्छल !
अब उमड़ती, उफनती,
मदमाती नदी में
बहता तिनका बना
मेरा जीवन !
धाराएं बनी अनेक !
कौन धारा सागर मिलन को ,
कौन धारा सिमट जाएगी
जंगलों में,
ऊपर उड़ते हंस के साथ
बहते बहते !
कौन जाने !
किस धारा पर
बहता तिनका बना
मेरा जीवन !
अब नाव नहीं,
बहता तिनका बना
मेरा जीवन !
रामेशवर सिंह
अब नाव नहीं ,
बहता तिनका बना
मेरा जीवन !
कभी जीवन नाव मेरी
समय की धारा पर बहती
शांत सौम्य !
नदी की कल -कल
के साथ
मन गीत गाता था निश्छल !
अब उमड़ती, उफनती,
मदमाती नदी में
बहता तिनका बना
मेरा जीवन !
धाराएं बनी अनेक !
कौन धारा सागर मिलन को ,
कौन धारा सिमट जाएगी
जंगलों में,
ऊपर उड़ते हंस के साथ
बहते बहते !
कौन जाने !
किस धारा पर
बहता तिनका बना
मेरा जीवन !
अब नाव नहीं,
बहता तिनका बना
मेरा जीवन !
रामेशवर सिंह
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