Wednesday 17 September 2014

बीता हुआ हर लम्हा मेरा इक गीत है !

बीता हुआ हर लम्हा मेरा इक गीत है !
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बीता हुआ हर लम्हा
मेरा इक गीत है !
हँसता बिलखता सा ,
उदास मुस्काता सा !

हर लम्हा खो क्यूँ जाता है
इंद्रधनुषी सपने सा ,
ढूंढता ही रह जाता हूँ
कहीं व्याकुल अधीर सा !
हँसता बिलखता सा ,
उदास मुस्काता सा !

काश !
कि हर लम्हा
बीत कर फिर
सिमट जाये आँचल में
जीवनमाला के पुष्प सा !
हँसता बिलखता सा ,
उदास मुस्काता सा !

अरे रे मन !
यह जान ले ,
बीत जाता है जो लम्हा
तेज बारिश के बहते पानी में बनते
पानी के बुलबुले सा लम्हा,
गीत बन जाता है जल तरंग सा !

यह भीगे गीत ही सुन,
जब तब ,रे मन !
हँसते बिलखते से ,
उदास मुस्काते से !

रामेशवर सिंह

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