Friday 4 July 2014

तुम लौट आओ !

तुम लौट आओ !

बिछोह की सूर्य अग्नि से
मेरे तपते मन मरुस्थल को
सावन ऋतू की झड़ी सी
तेरी मुस्कान ही अब पुलकाये !

तुम लौट आओ !

रामेश्वर सिंह

1 comment:

  1. Sundar hardya se nikli hui sundar pangtiya.... Wah wah wah....

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